Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Sunday, February 12, 2012

ग़लतफ़हमी

शब्द मुखरित ना हुए, फिर शोर ये कैसा हुआ |

आग बिन प्राचीर पर , है उठ रहा कैसा धुआं ||

खोदते हैं आज सब क्यों ग़लतफ़हमी का कुआँ |

और क्यों कहते सम्हल तू , प्रेम का रोगी हुआ ||

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